“शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए माना कि तेरी नजर में शायद कुछ भी नहीं हूं मैं, आईने से तुम घबराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जायेगा। सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता तेरा अकेलापन मुझे अकेला होने नहीं देता। मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के https://youtu.be/Lug0ffByUck